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सलमान खुर्सीद साहब ने तो मोदी जी पर अपने विचार दे कर कमाल ही कर दिया। भारत वर्ष के भूतपूर्व कानून मंत्री और वर्त्तमान में भारत के विदेश मंत्री ने मुख्य विपक्छी रास्ट्रीय पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में जिन शब्दों का प्रयोग (नपुंसक ) किया , इससे सारे देश को शर्म से सर झुका लेना पड़ा।
सलमान जी श्री जकिरहुसैन साहब के पारिवारिक सम्बन्धो से नाता रखते है। एक कुलीन मुस्लिम परिवार के नाते इन की परवरिश में “तहजीब ” का खास महत्व रहा होगा। उर्दू जबान में नाराजगी जाहिर करने का भी एक ” अदबी ” तरीका होता है। इन की शिक्छा भी हर हाल में देश और विदेश के खास संस्थानों से ही हुई होगी। कांग्रेस सरकार में राज्य व रास्ट्रीय सत्तर के रसूखदार पदों पर दसकों से रहरहे है. वर्त्तमान में भी देश के विदेशमंत्री के पद की शोभा बड़ा रहे है।
ऐसे शक्श के जबान से ऐसे शब्द कैसे निकले ? ऐसे शब्दों का प्रयोग कोइ भी सभ्रांत ब्यक्ति, किसी के लिए भी नहीं कर सकता, फिर नरेंद्र मोदी जी के लिए ऐसे शब्द का प्रयोग, सलमान जी की किस सच्चाई को उजागर करता है। शिक्छा के आभाव में “शब्दों ” से कंगाल जन की अभिब्यक्ति की शैली से भी निचली स्तर का उदाहरण रहा है ये।
भरतीय लोकतान्त्रिक ब्यवस्था में आज नरेंद्र मोदी जी की हैसियत से किया सलमान जी वाकिफ नहीं ? नरेंद्र मोदी जी ‘सड़क पर खड़े ‘ कोइ साधारण जन नहीं वरन जनता के द्वारा समर्थित, कांग्रेस के समक्छ
राष्ट्रीय पार्टी एवं मुख्या विपक्छी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मेदवार है। नरेंद्र मोदी जी के कद को देखने के लिए सलमान जी को सर उठा कर देखना पड़ेगा, तभी वे मोदी जी के कद का अंदाजा लगा पायगे। झुके सर से वे सिर्फ अपने कद का ही अंदाजा लगा सकते है।
आप के प्रति हम लोगों की तमाम धारणाएं, जैसे – खानदानी मुस्लिम परिवार की ‘तहजीब’, समृद्ध शिक्छा, गौरवपूर्ण वंसजों का गौरव, सत्ता पार्टी के मंत्रीमंडल के वरिष्ठम मंत्री पद की गरिमा – सब की सब धुल में मिल गयी। जिन्हों ने भी आप के व्यक्त्ब्यो को पढ़ा या सुना ,सहसा विश्वास नहीं कर सका । पर सत्य तो सत्य ही होता है। अहसास हो गया, कि आप के साथ कही न कही ,कुछ न कुछ अवश्य गलत था ,जिस का हम लोग अनुमान नहीं लगा सके, और उस का ही परिणाम सामने आ गया। हम ‘न’ – ‘न’ कह कर भी विश्वास करने को विवश हो गए।
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