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श्री अन्ना हजारे के दल के केजरीवाल महोदय जब से प्रकाश में आए, मुख्या चर्चा में ही रहे। देश में भ्रस्टाचार के खिलाफ आंदोलन की पहचान ही बन गए। जो भी भ्रस्टाचार के विषय उन्होंने उठाये, वे सभी सराहनीय थे और हिम्मत की बात भी थी। परिणामस्वरूप सदियों से कसमसाती जनता को लगा कि बदलाव का “सु-प्रभात” हो गया/ चाहने वाले और नचाहने वाले सभी खुल कर या दबकर केजरीवाल के “आप ” पार्टी को समर्थन देने लगे। परिणाम सामने आया, दिल्ली विधानसभा में 28 सीटों पर विजय के साथ दिल्ली में सरकार बन गयी।
दिल्ली की सत्ता सम्हाल कर उन्हे अहसास हुआ कि, पुलिस केंद्र की है, और कोइ भी नियम वे बिना केंद्र के समर्थन के बना नहीं सकते। निश्चित ही शाषन के लिए ये दोनों विषय प्राथमिक तौर पर महत्वपूर्ण है , इन के बिना सत्ता पर नियंत्रण कर पाना सम्भव नहीं। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया थी, जिसका समाधान कैसे हो सकता है पर सु-विचार कर रणनीत बनानी थी, और उस के लिए समय देना चाहिए था। राज्य में और भी बहुत कुछ जनता के लाभ और सहूलियत के लिए हो सकता था। आने वाले पांच वर्ष आप को और अनुभवी ,समर्थ और प्रभावशाली बना देते।
परन्तु केजरीवाल जी लगता है, अधीर हो गए। उन्हे लगा यदि केंद्र के प्रभाव में कार्य करना सुविधाजनक नहीं होगा तो, चलो केंद्र की सत्ता सम्हाल लें। कहीं ऐसा प्रतीत होता है, कि उनकी दृस्टि में या तो फिर कोइ चौका देने वाली प्रभावशाली रणनीत है, या फिर वे भ्रमित व अधिर हो चले है।
मानलिया आप अमेठी में राहुल जी को व गुजरात में नरेंद्र मोदी जी को हरा देते है। इस से क्या हो जायगा ? आप कहाँ पहुच जाऐगे ? राहुल जी और मोदी जी के पास विकल्पों की कमी नहीं,पर आप के पास क्या विकल्प होगा ? इन क्रिया कलापो से आप जाने – अनजाने, किसे लाभ और किसे हानि पहुचाएंगे? भुगतना सारे देश को पड़ेगा। कही सारे देश को आप राष्ट्रपति शाषण की रह पर ले जा कर न खड़ा कर दें।
जनता ने आप को “मसीहा ” के रूप में लिया ,लेकिन परिणाम भयंकर हतासा वाले रहे। झूठे शेर आने का स्वर उठा कर यदि आप ने जनता को भरमाया तो वास्तव में जब शेर आएगा और आप को मदद की आवश्यकता होगी तो जनता आपकी पुकार को आप का “मनुहार ” समझ कर अनसुना कर देगी।
बात – बात में जनता आप को सुझाव नहीं दे सकती। जनता अपने उलझनो में ही उलझी है ,तभी उसने जिम्मेदारी आप को सोंपी। जनता प्रश्न देगी आप को, और आप के उत्तर का परिणाम सुनाएगी। प्रस्नों के सारे उत्तर केवल आप को ही देने है ,इस में मात्र आप की ही जिम्मेदारी होगी है। किसी और की हिस्सेदारी की उम्मीद करना ,परीक्छा में नक़ल की संज्ञा में आयेगा।
आप प्रबुद्ध ब्यक्ति है,आप ने अपने अनुभवों को सिद्ध किया है। आप के साथ एक अच्छा जनसमर्थन जुड़ा है। आप की जिम्मेदारी इस जनसमर्थन के प्रति अधिक बनती है, कि वे हतास न हों ,और उन्हे आप से जुड़ने का सार्थक लाभ मिले, जिस का लाभ सारे देश को भी मिले। रेत में सीमेंट का प्रतिशत बढ़ाइए,वरन रेत का महल हल्की हवा से ही भरभरा जाता है।
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